छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री सुपोषण योजना अभियान (Chhattisgarh Mukhyamantri Suposhan Yojana 2020-21
कुपोषण छत्तीसगढ़ राज्य के साथ ही पूरे देश के लिए भी एक चुनौती है. इसके चलते पिछले साल महात्मा गांधीजी की 150वीं जयंती पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने कुपोषण और एनीमिया के खतरे से निपटने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत राज्य की माताओं और बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाता है. दरअसल पिछले 18 सालों में राज्य में प्रति व्यक्ति आय तो बढ़ी हैं लेकिन जो लोग गरीब थे वे और गरीब हो गए हैं. छतीसगढ़ में लगभग 37% लोग कुपोषण का शिकार थे. लेकिन इस अभियान के चलते इस आंकड़े में 13.97% की कमी आई है.
मुख्यमंत्री जी ने इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए कुपोषण के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई के रूप में ‘सुपोषित दंतेवाडा’ अभियान, एवं छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ‘हरिक नानी बेरा’ नामक अभियान चलाया. छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत चलायें या रहे सुपोषण अभियान की विशेषताएं एवं इसके बारे में सभी जानकारी आपको हमारे इस लेख के माध्यम से आपको प्राप्त हो जाएगी.
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान 2020 की विशेषताएं
- बच्चों और माताओं को हर रोज पौष्टिक भोजन दिया जाता है. जोकि इस अभियान के तहत 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों और 15 से 49 वर्ष तक की लडकियों और महिलाओं के लिए है.
- छत्तीसगढ़ राज्य सरकार सप्ताह में 2 बार मूंगफली के लड्डू, गुड़ एवं अंडे अतिरिक्त पोषण के लिए प्रदान करती हैं. इसका मुख्य उद्देश्य कुपोषण एवं एनीमिया पर रोक लगाना हैं.
- इस अभियान की शुरुआत छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ‘हरिक नानी बेरा’ अभियान नाम से पायलट प्रोजेक्ट में रूप में की गई थी. जिसके तहत लगभग 70 हजार बच्चों और 9 हजार माताओं को विभिन्न आंगनवाड़ी केन्द्रों में पौष्टिक भोजन मिल रहा था. जिसे अब पूरे राज्य में विस्तृत कर दिया गया है.
- सुपोषण अभियान को महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा लागू किया गया है. और इसमें प्राथमिकता स्थानीय पौष्टिक भोजन को दी जा रही है, साथ ही सरकार आयरन और एंथेलमिन्टिक की दवाइयां भी वितरित कर रही है.
- छत्तीसगढ़ सरकार प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा चिन्हित लाभार्थी को प्रतिदिन मुफ्त पौष्टिक भोजन प्रदान कर रही है.
- लाभार्थियों को फल, दूध, चिकिन, सोयाबीन, लड्डू, भाजी और अन्य वैकल्पिक पौष्टिक आहार देने के लिए डीएमएफ को विकसित किया जा रहा है.
- इसमें सरकारी एवं गैर सरकारी चैरिटेबल आर्गेनाइजेशन की भागीदारी है. साथ ही जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित किये गये आगंनवाड़ी, स्कूल और अन्य वितरण केंद्र पौष्टिक भोजन वितरित करते हैं.
- चावल, चीनी, नमक, आटा और केरोसिन प्रदान करने के लिए पीडीएस सिस्टम को मजबूत किया गया है. जोकि कम्युनिटी कांशिअसनेस और अकाउंटेबल एडमिनिस्ट्रेशन है.
तो इन सभी विशेषताओं के साथ राज्य को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर इस एक विशाल राज्यव्यापी अभियान शुरू किया गया है.
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री सुपोषण योजना की जून 2020 में प्रगति
छत्तीसगढ़ राज्य में खा जा रहा हैं कि कुपोषित बच्चों की संख्या में 13.79% की गिरावट हुई है. वर्ष 2019 में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या 9.70 लाख थी, जिनमें से मार्च 2020 में लगभग 67,889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए. जिससे यह आंकड़ा 13.79% कम हो गया. यह कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत है.
इस तरह से छत्तीसगढ़ राज्य सरकार अपने राज्य में कुपोषण के शिकार हुए बच्चे एवं महिलाओं को पोषण युक्त आहार देने के लिए इस योजना को लेकर आई हैं. ताकि राज्य में कुपोषण की समस्या में कमी आ सकें.
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