माल और सेवा कर जीएसटी (Goods and Services Tax (GST) in hindi)
माल और सेवा कर भारत में अप्रत्यक्ष कर है जोकि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाये जाते है. यह अप्रत्यक्ष कर माल और सेवाओं के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाया जाता है. जम्मू और कश्मीर को छोड़ कर बाकि सभी राज्यों में ये कर लागु नहीं है. अप्रत्यक्ष कर की संरचना भारत में बहुत ही जटिल है. हमे एक फ़िल्म देखने के लिए अलग से मनोरंजन कर देना पड़ता है, सामानों की खरीद के लिए अलग वैट का भुगतान करना पड़ता है. अब जीएसटी जैसा की नाम से ही पता चलता है माल और सेवा कर को अलग ना लगाकर एकल कराधान प्रणाली को लागु किया जायेगा. जीएसटी एक ऐसा कर है कि कोई भी व्यक्ति जो सामान और सेवाओं की आपूर्ति या सेवा प्रदान कर रहा है तो वह जीएसटी के कर को देने के लिए उत्तरदायी है.
जीएसटी का इतिहास (GST history)
भारत में अप्रत्यक्ष कर के शासन में सुधार की प्रक्रिया का प्रारम्भ 1986 में विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा संशोधित मूल्य वर्धित कर के रूप में शुरू किया गया था. यह एक बहुत ही लंबित मुद्दा है. जीएसटी पहली बार 2007 से 2008 के बजट सत्र के दौरान पेश किया गया था, जिसको 17 दिसम्बर 2014 को केन्द्रीय कैबिनेट मंत्रालय ने जीएसटी के प्रस्ताव को लागू करने की मंजूरी दी थी. उसके बाद 19 दिसम्बर 2014 को लोकसभा में जीएसटी विधेयक को पेश किया गया था. 2014 में यह बिल पास भी हो गया, जिसमे संविधान 122 के तहत सभी सेवाओं और उत्पादों पर इसे लागू करने की बात कही गयी थी.
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भारत में जीएसटी (GST in India)
भारत में जीएसटी के लागु हो जाने से सभी तरह के टैक्स को जमा करने में सुविधा होगी. एक राज्यों से दुसरे राज्यों में सामानों या मालों को ले जाने में 25% से 30% राज्य कर के रूप में भुगतान करना पड़ता था. एंट्री टैक्स के रूप में कागजी करवाई में कई घंटे लग जाते थे अब जीएसटी के लागु हो जाने से इस प्रक्रिया में समय की बचत होगी. भारत में जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू होने की उम्मीद है. जीएसटी सिर्फ़ अप्रत्यक्ष कर पर ही लागू होगा प्रत्यक्ष कर जैसे पहले लगते थे वैसे ही अब भी लगेंगे. प्रत्यक्ष कर से तात्पर्य आय कर से है.
जीएसटी का प्रभाव (GST effect)
शुरूआती दौर में जीएसटी नाममात्र का या शुन्य की दर से लगाया जायेगा. ऐसा इसलिए किया गया है कि कई तरह के टैक्स राज्यों के द्वारा वसूले जाते है जैसे मनोरंजन कर, एंट्री कर, लग्जरी कर इत्यादि. इन सब कर से राज्यों को बहुत बड़ी आमदनी होती थी जोकि अब बंद हो जाएगी. ये उनके लिए थोड़ी परेशान करने वाली बात हो जाएगी, इसलिए यह राज्यों को जीएसटी के प्रभाव से बचाने के लिए किया जायेगा. लेकिन पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी लगाया जायेगा. केद्र सरकार ने राज्यों को ये आश्वासन दिया है कि जिस तारीख से जीएसटी लागु होगा, उसके पांच साल तक राज्यों को किसी भी तरह के राजस्व घाटा का मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा दिया जायेगा.
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जीएसटी के कार्य (GST working)
हमारे संविधान की मुख्य विशेषता यह है कि यह केंद्र और राज्यों की कराधान की व्यवस्था को विभाजित करता है, जिस वजह से दोनों अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर विशिष्ट क्षेत्रों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कर लगा सकते है. जीएसटी राज्यों के बीच कराधान की बाधाओं को दूर करके, देश भर में खरीद, बिक्री, आयात, निर्यात सभी को इस व्यवस्था के अंतर्गत ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि यह एकल बाजार बन जाये जिससे व्यापारियों को भी आर्थिक स्वतंत्रता मिले. 25 तरह के टैक्स भारत में लगते है. जीएसटी के कार्य को समझने के लिए हमने निम्नवत उदाहरण देकर विवरण किया है जिससे आपको इसे समझने में सुविधा होगी-
- निर्माता : अगर किसी वस्तु का निर्माण करने के लिए निर्माता कच्चे माल को खरीदता है, तो उसे 100 रूपये के माल पर 10% का टैक्स यानि की 10 रुपये देना पड़ता है. फिर वो जिस वस्तु का निर्माण करता है उसको सकल निर्माण में 30 रुपये मूल्य रखता है इस तरह वस्तु का मूल्य 130 रूपये हो जायेगा. फिर इसे बाजार में लाने पर आउटपुट टैक्स के रूप में 10% की दर से 13 रूपए लगेंगे लेकिन जीएसटी के तहत चुकि पहले ही 10 रूपये का भुगतान किया जा चूका है, तो निर्माता अब केवल 3 रूपये का ही भुगतान प्राप्त करेगा. इस तरह जीएसटी के लागू होने से निर्माता को 10 रूपये और 13 रूपये का अलग भुगतान न करके सिर्फ़ एक 13 रुपये का ही भुगतान करना होगा.
- वितरक या सेवा प्रदाता : निर्माता अपने तैयार माल को वितरक के पास 130 रूपये में बेचता है थोक व्यापारी इसको 130 रूपये में खरीद कर फिर 20 रुपये मार्जिन लगा कर बेचेगा, जिससे इसका वर्तमान मूल्य 150 रूपए का हो जायेगा और 10 की दर से वस्तु पर कर 15 रुपये का हो जायेगा, लेकिन जीएसटी लागू हो जाने से यहाँ 13 रूपए का कर भुगतान पहले ही हो चूका है तो थोक व्यापारी को जीएसटी के तहत केवल 2 रूपये मिलेंगे.
- उपभोक्ता : इसी तरह से अंत में उपभोक्ता अर्थात खुदरा व्यापारी के पास वस्तु पहुँचने पर उसका मूल्य 150 रूपये तक होता है, जिस पर वह बाजार में बेचने के लिए 10 और जोड़ देता है तो वस्तु का मूल्य 160 रूपये हो जाता है और 10% टैक्स पर 16 रूपये आयेंगे, लेकिन जीएसटी लागु हो जाने से रिटेलर को 16 रूपये टैक्स न देकर 1 रूपये देना पड़ता है.
अंततः हम जीएसटी के लागु होने से कच्चे माल, निर्माता, थोक व्यापारी और खुदरा विक्रेता को 10+3+2+1 =16 रूपये उपभोक्ता को देना पड़ेगा. इस तरह से अलग अलग टैक्स की अधिक दर को चुकता करने से उपभोक्ता बच जायेगा.
जीएसटी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया (GST registration process)
हर उस व्यापारी या आपूर्ति कर्ता को इसके अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करना होगा जिनके कारोबार 20 रूपये वार्षिक है, लेकिन उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए 10 लाख रूपये तक निर्धारित किये गए है. सरकार इसके लिए एक पोर्टल बनाएगी, जिसमे आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा जिस वजह से एक बार में ही आप अपने टैक्स को ऑनलाइन भुगतान कर सकते है.
- रजिस्ट्रेशन अर्थात पंजीकरण करने के लिए जीएसटी के पोर्टल www.gst.gov.in पर जाकर ऑनलाइन लॉग इन करे. जब आप लॉग इन होंगे तब आपको पंजीकरण फॉर्म 1 के रूप में भाग-ए को भरना होगा.
- फॉर्म भरने के बाद आपको अपने मोबाइल या इ – मेल पर एक आवेदन सन्दर्भ संख्या मिलेगी.
- इस संख्या को डालने के बाद जब आप दुसरे भाग को भरेंगे तो आपको कुछ आवश्यक बिजनेस के कर से सम्बंधित आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी देनी होगी.
- अंत में विभाग के द्वारा आपके लिए एक पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.
- अगर किसी भी तरह की त्रुटी हो गयी हो या आपके मन में किसी भी तरह का सवाल हो, तो आप विभाग में जा कर इसकी जानकारी ले सकते है, और जो भी दस्तावेज आपने दिए है उसको जीएसटी पंजीकरण संख्या 4 को साथ में लेकर कार्यालय में 7 दिन के अन्दर जमा करा दे.
- आपके द्वारा जो भी सूचनाएं दी गयी है अगर किसी भी तरह की गलती कार्यालय के द्वारा पाई जाती है, तो वह आपके आवेदन को अस्वीकार कर सकता है और जीएसटी के पंजीकरण संख्या 5 के माध्यम से आपको सूचित कर देगा. जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तारीख 20.03.2017 थी.
जीएसटी के प्रकार (GST types)
जीएसटी तीन प्रकार के है.
- केन्द्रीय जीएसटी इसको केंद्र सरकार वसूलेगी
- इंटीग्रेटेड जीएसटी यह दो राज्यों के बीच हुए व्यापार पर लगेगा, जिसको दोनों राज्यों में बराबर भागों में बांटा जायेगा इसको भी केंद्र ही लागू करेगा.
- प्रांतीय जीएसटी इसको राज्य सरकार वसूलेगी
जीएसटी के तहत माल को बेचने और उसकी आपूर्ति के लिए तीनो में अलग अलग रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा और सबके लिए अलग टैक्स भर कर उसका हिसाब रखना पड़ेगा.
जीएसटी के फ़ायदे (GST benefits)
- भारत में जीएसटी के लागू हो जाने से जो केंद्र और राज्यों की सरकार के द्वारा अलग अलग कर लगाये जाते थे, वो अब एकत्रित होकर एकल कर में परिवर्तित हो जायेंगे. जिस वजह से व्यापक दोहरे कराधान का भार कम हो जायेगा. इससे टैक्स की दरों में कमी आयेगी.
- जीएसटी के लागु हो जाने से कोई भी अपना टैक्स चुरा नहीं सकता है इसका ये फ़ायदा होगा कि टैक्स चोरी में कमी आयेगी.
- इसके लागू हो जाने से जीडीपी दर में भी 1% से 2% तक की बढ़ोतरी आ जाएगी.
- सबसे बड़ा फ़ायदा इससे आम आदमी को होगा. अब किसी भी राज्य में अगर आप खरीदारी करेंगे तो आपको एक ही कीमत चुकानी पड़ेगी, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था अलग अलग राज्यों के टैक्स दर में अंतर होने की वजह से कीमतों में भी अंतर आ जाता था.
- जीएसटी के लागु हो जाने से जो विकासशील राज्य है उनकी आय में वृद्धि हो जायेगी.
- जीएसटी के लागु होने से, माल ढुलाई की दर में कमी आ जाने से इसको बनाने में भी कम पैसों का खर्च होगा, जिस वजह से सामान सस्ते मिलने शुरू हो जायेंगे.
- इसके लागु हो जाने से छोटे व्यवसायी वर्ग को भी फायदा होगा. अंततः इससे व्यवसायी और उपभोक्ता दोनों को फ़ायदा होगा.
जीएसटी के नुकसान (GST disadvantages)
जीएसटी के आने से छोटे व्यापारियों को नुकसान की सम्भावना ज्यादा हो सकती है.
- विनिर्माण के क्षेत्र में जीएसटी नियम के तहत छोटे व्यावसायिक, जिससे वर्तमान में उत्पादन शुल्क कानून के तहत 1.50 करोड़ के लिए एक्ससाइज ड्यूटी भुगतान करना पड़ता था, लेकिन इसका विनिर्माण का कारोबार 20 लाख घट कर हो गया है जिस वजह से कर का बोझ बढ़ जायेगा.
- जीएसटी के आ जाने से सञ्चालन लागत में वृद्धि होगी. कई व्यवसायी अपने लागत को बचाने के लिए नए लोगो से काम करा लेते है, लेकिन जीएसटी में नए नियम आ जाने से उन्हें व्यावसायिक सहयता की आवश्यकता पड़ेगी. जिस वजह से उन्हें पेशेवर लोगो को रखना पड़ेगा और जो नए लोगो को रखेंगे उन्हें उनके प्रशिक्षण में खर्च करना पड़ेगा जिस वजह से उन पर अतिरिक्त खर्च का दबाव आएगा.
- ज्यादातर व्यापारी टैक्स रिटर्न्स भरने या दाखिला करने के लिए लेखांकन सॉफ्टवेयर या ईआरपी का उपयोग करते है, जिनमे सभी तरह के टैक्स का विवरण पहले से ही शामिल था. लेकिन जीएसटी के लागू हो जाने से उन्हें नए सॉफ्टवेयर खरीदने पड़ेंगे और अपने कर्मचारियों को भी उसके इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षित करना पड़ेगा, जिस वजह से व्यापारियों की लागत बढ़ेगी.
- जीएसटी 1 जुलाई से लागू हो जायेगी और शुरुआत के 3 महीने तक इसकी छुट दी गयी है, लेकिन इस वजह से भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है, क्योकि इसको कार्यान्वित करने के लिए बहुत कम समय बच पाया है.
- करों में कमी होने के बदले वृद्धि ही होगी लेकिन कपडा उद्योग और इस जैसे ही कुछ और क्षेत्रों में छुट दी गयी है. जीएसटी मे केवल 4 प्रस्तावित कर की दर है जो कि 5%, 12%, 18%, 28% है. जिस वजह से करों के बोझ की बढ़ने की सम्भावना है.
- राज्यों के लिए भी यह सबसे बड़ी चिंता है की ज्यादतर टैक्स उन्हें पेट्रोलियम उत्पादों से मिलते थे, जो उनके राजस्व के लिए अच्छी कमाई का स्रोत था. किन्तु जीएसटी के आने से ये बंद हो जायेंगे इस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण हो जायेगा.
किसी भी नई व्यवस्थाओं को लागू करने में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन एक बार अगर नियम कार्यान्वित हो जाये तो आसान इनपुट क्रेडिट प्रणाली, कम अनुपालन और एकीकृत कर प्रणाली जैसे फ़ायदे भी होंगे.
जीएसटी के अंतर्गत क्या सस्ता और क्या महंगा हुआ है (Under GST what is cheaper and costlier)
जीएसटी के आने से कुछ चीजे जहा महंगी होगी, वही कुछ चीजों के दाम में गिरावट होगी, जैसे –
- जीएसटी के तहत महंगी सुविधा और वस्तु : मोबाइल बिल, बैंकिंग और निवेश प्रबंधन सेवाएँ, जीवन वीमा पॉलिसी के लिए रिन्यूअल प्रीमियम, वाई फाई, टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग और डीटीएच जैसी सुविधाओं और चीजों के दाम बढ़ेंगे. जीएसटी के तहत मौजूदा छुट को जिस जगह पर बंद कर दिया गया है उनमे शामिल है रेसीडेंसीयल आवासीय, स्वास्थ्य के देखरेख का खर्च, स्कूल की फ़ीस, करियर सेवा इसके अलावा मेट्रो और रेल का सफर भी महंगा हो सकता है. साथ ही सिगरेट, तम्बाकू की कीमतों में बढ़ोतरी होगी.
- जीएसटी के तहत सस्ती वस्तुएं : जीएसटी के तहत मनोरंजन कर कम हो जाने से फिल्मों के टिकट, नाटक प्रदर्शन की कीमत और रेस्तरां में भोजन करना सस्ता हो सकता है. जीएसटी के तहत लग्जरी गाड़िया सस्ती हो सकती है इसके अलावा टीवी, वाशिंग मशीन, स्टोव इन सभी की कीमतों पर थोडा प्रभाव पड़ेगा.
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